
मर्यादा और संस्कारयुक्त जीवन से ही संभव है प्रभु की प्राप्ति: सर्वेश्वर दत्त त्रिपाठी
बस्ती।सदर तहसील क्षेत्र के चननी गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ से प्रवचन देते हुए आचार्य सर्वेश्वर दत्त त्रिपाठी ने कहा कि अनेक जन्मों के सत्कर्मों के फलस्वरूप मानव शरीर की प्राप्ति होती है। जब मनुष्य को यह दुर्लभ देह मिलती है तो उसका परम कर्तव्य है कि वह मर्यादा, धर्म, दान और परोपकार के मार्ग पर चलते हुए जीवन को सार्थक बनाए।
उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी में संस्कारों की कमी के कारण भ्रम और अस्थिरता बढ़ रही है। जीवन में मर्यादा और संस्कार का पालन ही प्रभु की प्राप्ति का साधन है। संस्कार जीवन का निर्माण करते हैं — संस्कार से संयम उत्पन्न होता है और संयम से मनुष्य विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं को संतुलित रखते हुए ईश्वर की ओर अग्रसर होता है।
आचार्य त्रिपाठी ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण मात्र मनुष्य को अनेक जन्मों के पापों से मुक्त करता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि राजा परीक्षित को सप्त दिवस कथा श्रवण से ही मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
कथा का समापन प्रसाद वितरण और भंडारे के साथ हुआ।
इस अवसर पर रमेश मिश्र, गिरिजेश मिश्र, हरिश्चंद्र मिश्र, नितेश शर्मा, विपिन कुमार, श्रद्धा, पूनम, ज्ञानमती, सुरेश, अभिनव सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।





